shiv chalisa lyrics bhakti bharat Can Be Fun For Anyone
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अर्थ- माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
अर्थ- हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती।
थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के click here रूप में बांट दें।
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा।
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जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।